Retail Inflation Increased: देश में महंगाई का बड़ा झटका; खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक

देश में महंगाई का बड़ा झटका; खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक, बढ़कर इस दर तक पहुंची, चिंता की बात

Big Blow of Inflation Retail Inflation Increased Break Records 14 Months

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Retail Inflation Increased: लोग महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद लगाए जा रहे हैं लेकिन महंगाई है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही। आसार ऐसे हैं कि, आगे भी महंगाई से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। दरअसल, एक बार फिर महंगाई ने पिछले 14 महीनों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दर (खुदरा महंगाई दर) पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक दर्ज की गई है। अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति दर बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई। इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। वहीं पिछले साल अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर 4.87 प्रतिशत थी।

कहा जा रहा है कि, देश में खाने-पीने का सामान महंगा हुआ है यानि खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण खुदरा महंगाई दर में पिछले 14 महीनों में यह रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है। जहां इस दायरे के बाहर जाते ही महंगाई सरकार और आरबीआई के लिए चिंता का कारण बन जाती है। ऊपर से इकॉनमी में सुस्ती के पहले से संकेत भी बने हुए हैं।

EMI भरने वालों को भी अब नहीं मिलने वाली राहत!

गौरतबल है कि सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़) पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। लेकिन यह उससे काफी अधिक है। इसके बाद अब आगे रेपो रेट में फिलहाल कटौती संभव नहीं है। बल्कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट (लोन पर ब्याज दर) बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।आरबीआई ने पिछले काफी समय से रेपो रेट को यथावत 6.50 प्रतिशत पर रखा हुआ है। पिछले महीने भी मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था।

बहराल, खुदरा महंगाई में रिकॉर्ड उछाल के बाद होम, कार लोन समेत तमाम लोन की ईएमआई घटने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए बुरी खबर है। दिसंबर में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी में रेपो रेट में कटौती की अब उम्मीद नहीं है। यानी महंगे लोन से अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

रेपो रेट कम होने से मतलब है कि आपके लोन की ब्याज दर कम हो जाएगी और महीने में जाने वाली लोन की EMI सस्ती हो जाएगी। वहीं अगर अगर आरबीआई द्वारा रेपों रेट में बढ़ोतरी कर दी जाती है तो आपकी लोन EMI पर महंगी हो जाती है, यानि ज्यादा ब्याज के साथ आपको महीने में फिर ज्यादा ईएमआई भरनी होती है। मालूम रहे कि, आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक हर 2 महीने में एक बार होती है।